नरेंद्र मोदी सरकार में शामिल और एनडीए गठबंधन के राष्ट्रीय लोक समता
पार्टी के नेता उपेंद्र कुशवाहा की मानें तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मॉब
पर लिंचिंग की घटनाओं का बहुत असर पड़ता है और ऐसी घटनाएं उनके मन के
विपरीत हैं.
मानव संसाधन विकास राज्य उपेंद्र कुशवाहा ने ये भी
बताया कि मोदी सरकार के रहते एससी-एसटी एक्ट में किसी तरह का बदलाव नहीं
होगा. इस बातचीत में उन्होंने ये भी माना कि सेंट्रल यूनिवर्सिटी की
नियुक्तियों में आरक्षण के प्रावधानों का उल्लंघन हो रहा था, जिसके चलते
नियुक्तियों पर रोक लगा दी गई है.
उनसे पूरी बातचीत, यहां पढ़ें. एक्ट में जिस वक्त बदलाव हुआ था, देश भर में लोग आंदोलित हो गए थे, उस वक्त
भी सरकार तुरंत एक्शन लेकर कोर्ट गई थी और रिव्यू पेटीशन दाख़िल किया.
सरकार का मन मिजाज बन चुका है कि अगर कोर्ट से हल नहीं मिलता है तो सरकार
संसद में अध्यादेश लाकर एससी-एसटी लोगों का नुकसान नहीं होने देगी. हम
लोगों को भरोसा दिलाते हैं कि सुप्रीम कोर्ट के एससी-एसटी एक्ट में बदलाव
से लोगों के हितों का कोई नुकसान नहीं होगा और हम ऐसा नहीं होने देंगे.
एनडीए सरकार पर सबसे बड़ा आरोप यही लगता है रहा है कि वह स्कूलों और विश्वविद्यालयों के पाठ्यक्रमों में बदलाव कर रही है, हिंदुत्व की विचारधारा थोपने की कोशिश हो रही है.
जी हां, ऐसा हो रहा था. इलाहाबाद हाईकोर्ट के एक फ़ैसले के चलते यूजीसी ने अपने पुराने नियमों में बदलाव किया था, जिसके चलते सभी सेंट्रल
यूनिवर्सिटी के आवेदनों में आरक्षण प्रभावित हो रहा था.
लेकिन
पार्लियामेंट सेशन से एक दिन पहले हमलोगों ने प्रधानमंत्री के सामने इस
मुद्दे को उठाया. दूसरे लोग भी शामिल थे और उसके दो-तीन दिन के अंदर ही
मंत्रालय ने यूजीसी को निर्देश दिया और यूजीसी ने सर्कुलर जारी करके सभी
नियुक्तियों पर रोक लगा दी है. जहां-जहां आरक्षण के प्रावधानों का उल्लंघन हो रहा था, सब जगह रोक लगा दी गई है. संविधान के मुताबिक एससी-एसटी और
ओबीसी वर्ग को आरक्षण मिलेगा.
आप जिस सरकार में मंत्री हैं, उसमें आपके एक सहयोगी मॉब लिंचिंग
के अभियुक्तों को माला पहना रहे हैं, एक सहयोगी संविधान को बदलने के बात कर रहे हैं और लगातार देश के अलग-अलग हिस्सों से दलितों के उत्पीड़न की ख़बरें भी आ रही हैं, इन सब पर आपकी प्रतिक्रिया.
मैं
मानता हूं कि इस तरह की घटनाएं हुई हैं, हालांकि जितनी ख़बरें आ रही हैं,
वो सब सच हों ये सही नहीं है. जहां तक कुछ मंत्रियों के बयान देने की बात
हो या फिर उनके एक्शन की बात हो तो, प्रधानमंत्री जी अंदर तक प्रभावित होते
हैं, उनके मन के विपरीत ये बात है.
उनकी इच्छा होती है कि लोग
विकास की बात करें, डेवलपमेंट के नाम पर राजनीति करें. इसके बावजूद कुछ लोग
बोलते हैं, कुछ लोगों के सेंटिमेंट को उभार कर राजनीति करने की कोशिश की
जा रही हो तो ये नहीं होनी चाहिए. ये ग़लत है.
आप ये कह रहे हैं कि इन घटनाओं का मोदी जी पर असर होता है, लेकिन ऐसी घटनाओं पर मोदी जी कोई ट्वीट नहीं करते, देश दुनिया की दूसरी
घटनाओं पर वे ट्वीट करते रहते हैं. ये दोनों बातें विरोधाभासी हैं.
देखिए
गृहमंत्री जी की ओर से कई बार कहा गया है. राज्यों को निर्देश भेजा गया
है, क़ानून और प्रशासन की ज़िम्मेदारी राज्य सरकार की होती है. जहां भी ऐसी गड़बड़ी हो रही है वहां देखने की ज़िम्मेदारी राज्य प्रशासन की होती है.
कड़ा एक्शन होना चाहिए.
प्रधानमंत्री जी भी तथाकथित गोरक्षकों की
बात कर चुके हैं. उन्होंने आपत्ति जताते हुए कहा था कि ऐसा नहीं चल सकता
है. क़ानून कोई अपने हाथ में नहीं ले सकता, ऐसा बयान वे दे चुके हैं.
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